Thursday, 1 May 2008

नौसिखिया हैं सौरव...

हरभजन के गुस्से की आग अभी ठीक से बुझी भी नहीं थी कि वार्न ने आज फिर से आईपीएल के पलीते को चिंगारी दिखा दी। राजस्थान रॉयल्स के कप्तान शेन वार्न के निशाने पर हैं कोलकाता नाइट राइडर्स के कप्तान बंगाल टाइगर यानी सौरव गांगुली। एक खबरिया चैनल की खबर पर गौर फरमाएं तो गांगुली को निशाना बनाने की वार्न की मुहिम में एक खिलाड़ी कोलकाता टीम का भी साथ देता दिखाई पड़ता है।

शेन वार्न ने गांगुली पर आरोप लगाया है कि उनमें खेल भावना नहीं है। दरअसल गांगुली ने राजस्थान रॉयल्स के खिलाड़ी की कैच अपील के बाद मैदान में मौजूद अंपायर को तीसरे अंपायर की मदद लेने के लिए दबाव डाला था। सौरव को लग रहा था कि गेंद हाथ में आने से पहले ही जमीन में टिप्पा खा चुकी थी। तीसरे अंपायर ने सौरव की शंका को सच में बदल दिया, नतीजतन बल्लेबाज आउट होने से बच गया। अब सौरव की इस जिद में शेन वार्न को अगर खेल भावना की कमी नज़र आ रही है तो ये कहां तक जायज है यह बाद दीगर है।

वैसे भी आस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों को सौरव कभी भी जेन्टेलमैन नज़र नहीं आए। ताज्जुब तो इस बात का है कि कोलकाता नाइट राइडर्स के एक खिलाड़ी ने भी सौरव को क्रिकेट के इस नवीन संस्करण का नौसिखिया बता डाला।

जी हां कोलकाता टीम में शामिल पाकिस्तानी तेज गेंदबाज उमर गुल वैसे तो क्रिकेट के खेल में सौरव के सामने बच्चे जैसे ही हैं, लेकिन उमर गुल का कहना है गांगुली को २०-२० क्रिकेट का अनुभव नहीं है। यही नहीं कभी दमदार कप्तानी और टीम पर अपने अनुशासन के लिए जाने जाने वाले कप्तान सौरव गांगुली पर गुल एक और आरोप मढते हैं। गुल का कहना है कि कोलकाता टीम में तालमेल की कमी है। आखिर गुल साहब को शुरुआती लगातार दो जीत में तालमेल की कमी क्यों नज़र नहीं आई। कहीं गुल आईपीएल में शोयब की वापसी से घबराए तो नहीं। खैर वजह जो भी हो।...

दादा २०-२० में आज पहली बार रंगत में दिखे। उन्होंने अर्धशतक भी जमाया लेकिन वो अपनी टीम को जीत दिलाने के बजाए बस हार का अंतर ही कम कर सके। पांच मैचों में दो जीत के साथ गांगुली की टीम टूर्नामेंट में कुछ पायदान नीचे जरूर खिसकी है लेकिन उसके लिए संभावनाएं खत्म हो गईं ऐसा कतई नहीं कहा जा सकता है, वो भी तब जब मुंबई इंडियन्स, डेकन चार्जेज और बैंगलोर रॉयल चैलेंजर महज एक जीत के साथ अभी भी फाइनल खेलने की उम्मीद रखती हैं।

1 comment:

अजित साही said...

बहुत बढ़िया। लेकिन कमसेकम हर दूसरे दिन तो लिखिए, लेखक महाराज!